Thursday, March 15, 2018

लेख्य मंजूषा पटना के काव्योत्सव में मेरे शायराना अंदाज़

2 सितंबर 2017: लेख्य मंजूषा पटना
पटना में शनिवार को स्थानीय इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के सभागार में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘लेख्य-मंजूषा’ द्वारा ‘काव्योत्सव’ का भव्य आयोजन किया गया. इस अवसर पर शायर समीर परिमल के ग़ज़ल संग्रह ‘दिल्ली चीख़ती है’ की अपार सफलता और शायर डॉ रामनाथ शोधार्थी के जन्मदिवस को केक काटकर उत्सव मनाया गया. वहीं संस्था की वरिष्ठ सदस्या कृष्णा सिंह ने दोनों शायरों को पुष्पगुच्छ और उपहार देकर सम्मानित किया.
इस अवसर पर संस्था के सदस्यों व आमंत्रित कवियों ने अपने काव्य-पाठ से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम के प्रारंभ में कवि संजय कुमार संज ने शायर समीर परिमल को उनके ग़ज़ल संग्रह ‘दिल्ली चीख़ती है’ की सफलता की बधाई देते हुए कहा कि ये संग्रह दिल को छूने वाला है इसलिए किताब की सफलता चीख रही है. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि घनश्याम और संचालन गणेश बाग़ी ने किया. शायर समीर परिमल ने शेर पढ़ा ‘केसर की क्यारी में जन्नत रोती है, फूलों कलियों ने मुस्काना छोड़ दिया’. वहीं कवि संजय संज ने अपनी नज्म ‘चाहा था उसे दिल से बहुत, पर वो सितमगर हमारा नहीं है. बहुत टूटे तारे आसमां से किस्मत के, मगर कोई सितारा हमारा नहीं है’ पेश की तो शायर संजय कुमार कुंदन ने ‘सरमाया के ताज में तो अलमास जड़े है मजदूरी, फिर अपनी मजबूरी से दिन-रात लड़े है मजदूरी’ पढ़ा. वहीं डॉ शोधार्थी ने पढ़ा कि ‘इतना सर पर न चढ़ाओ मुझे दुनिया वालों, इक दफा चढ़ जो गया फिर न उतरने वाला’.
कार्यक्रम में उपस्थित कवियों में सरोज तिवारी, कुमार पंकजेश, नेहा नारायण सिंह, अस्मुरारी नंदन मिश्र, ज्योति स्पर्श, वसुंधरा पाण्डेय, सूरज ठाकुर बिहारी,सागर आनंद, आराधना प्रसाद, हेमंत दास हिम, कुंदन आनंद, ज्योति मिश्रा आदि ने भी अपनी रचनाएं सुनाकर दर्शकों का मन मोह लिया.

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home